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राहु और केतु के बीच छुपी है एक बड़ी रहस्य, जानें इनका जन्म कैसे हुआ

Jan 22

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rahu kavach and ketu kavach
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पुराणों में राहु और केतु का जन्म एक बहुत ही रोचक और रहस्यमय कहानी के रूप में हुआ है। इनका संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, जो एक प्रसिद्ध कथा है। समुद्र मंथन का कार्यक्रम देवताओं और असुरों के बीच हुआ था। दोनों ही अमृत (जो इंसान को अमर बना देता है) प्राप्त करना चाहते थे। इस कथा में राहु और केतु का जन्म कैसे हुआ, यह समझना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।


समुद्र मंथन की कहानी

बहुत समय पहले, देवताओं और असुरों के बीच एक बड़ा युद्ध चल रहा था। दोनों को एक ऐसे अमृत की आवश्यकता थी, जो उन्हें अमर बना सके। अमृत मिलने के बाद, देवताओं और असुरों के जीवन में कोई दुख या मृत्यु नहीं होती थी, इसलिए दोनों ही इस अमृत को प्राप्त करना चाहते थे।

इस अमृत को प्राप्त करने के लिए, देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन (ocean churning) का कठिन कार्य किया। इस मंथन में एक पहाड़, मंदराचल, और एक सांप, वासुकी, का इस्तेमाल किया गया। इस प्रकार, समुद्र में से कई चीजें निकल कर सामने आई, जिनमें से कुछ चीजें बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी थीं। इनमें से चाँद (moon), लक्ष्मी (धर्म और धन की देवी), और एक खतरनाक विष (poison) भी था, जिसे शिव जी ने पी लिया था।


अमृत का उत्पत्ति

समुद्र मंथन से सबसे महत्वपूर्ण चीज जो निकली, वह थी अमृत। यह अमृत देवताओं के लिए थी, ताकि वे सब अमर हो सकें और असुरों से लड़ कर जीत सकें। अमृत मिलने के बाद, देवता बहुत खुश थे और उन्होंने सोचा कि इसे पीने के बाद वे असुरों से जीत जाएंगे।

लेकिन यह सब असुरों को पसंद नहीं आया। असुर भी चाहते थे कि अमृत उन्हें मिले, ताकि वे भी देवताओं के समान अमर हो सकें। यहाँ पर एक महान छल (cheating) का कार्यक्रम चल रहा था।


विष्णु जी की चालाकी

जब असुरों ने देखा कि देवता अमृत के पास हैं, तो उन्होंने सोचा कि वे देवताओं को धोखा देकर अमृत पी सकते हैं। तब विष्णु जी ने अपना रूप बदल लिया। उन्होंने एक सुंदर महिला का रूप धारण किया, जिसे मोहीनी के नाम से जाना गया। मोहीनी की खूबसूरती देखकर असुर भी मोह में पड़ गए।

मोहीनी, जो असल में विष्णु जी का रूप था, उन्होंने असुरों को अपने जाल में फँसा लिया। उन्होंने असुरों को अमृत के लिए बुलाया, लेकिन विष्णु जी की चालाकी को वे नहीं समझ पाए। उन्होंने देवताओं को अमृत दिया और असुरों को बस देखता छोड़ दिया। यह चालाकी देवताओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई।


स्वर्व्भानु का छल

इस दौरान एक असुर, जिसका नाम था स्वर्व्भानु, ने विष्णु की चालाकी समझ ली थी। स्वर्व्भानु ने सोचा कि अगर वह देवताओं के बीच बैठकर अमृत पी ले, तो कोई भी उसका कुछ नहीं कर सकेगा। उसने अपने आप को देवताओं के बीच छुपाकर बैठा लिया। स्वर्व्भानु ने जब अमृत पी लिया, तो सूर्य और चंद्र ने इसे देख लिया। उन्होंने तुरंत विष्णु जी को इस बारे में बताया।

विष्णु जी को यह बात सुनकर गुस्सा आया और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से स्वर्व्भानु का सिर काट दिया। यह भयानक घाव था, लेकिन उसके बाद भी स्वर्व्भानु का शरीर अमर था। उसके सिर काटने के बाद, स्वर्व्भानु का सिर एक अलग रूप में था। स्वर्व्भानु का सिर अब राहु बन गया। राहु को हम आज भी देखते हैं जब सूर्य और चंद्र के साथ ग्रहण (eclipse) होता है।


राहु और केतु का जन्म

जब स्वर्व्भानु का सिर काट दिया गया, तब उसका शरीर अब केतु बन गया। केतु का जन्म एक तरीके से आध्यात्मिक और कर्म से जुड़ा हुआ था। केतु को हम आध्यात्मिक विकास और धर्म (कर्म) का प्रतीक मानते हैं।


  • राहु का प्रतीक होता है बुरी तक़दीर, उलझन, और कभी-कभी गलत प्रभाव। राहु को अक्सर छाया ग्रह कहा जाता है, जिसमें वह सूर्य और चंद्र को अपने रास्ते में रोकता है और ग्रहण का कारण बनता है। जब सूर्य या चंद्र के ऊपर राहु आता है, तो वे दिखाई नहीं देते, इसीलिए ग्रहण होता है।


  • केतु का प्रतीक होता है आध्यात्मिकता, मोक्ष और कर्म। केतु को हम अपनी आत्मा के सफर का भी प्रतीक मानते हैं। जब हम अपने कर्मों का ठीक से पालन करते हैं, तो केतु हमारी मदद करता है आध्यात्मिक विकास के लिए। केतु को भी छाया ग्रह कहा जाता है, लेकिन उसका असर हमेशा सकारात्मक होता है, जब हम अपने जीवन में सही कर्म करते हैं।


राहु कवच और केतु कवच के लाभ:


राहु कवच और केतु कवच दोनों ही ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली उपाय माने जाते हैं, जो व्यक्ति को राहु और केतु के दुष्प्रभाव से बचाने में मदद करते हैं। Rahu Kavach (राहु कवच) व्यक्ति को धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। यदि आपको अपने करियर, व्यापार या व्यक्तिगत जीवन में किसी भी प्रकार की रुकावट या समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो राहु कवच उसे दूर करने और आपके लिए नए अवसरों को खोलने में सहायक है। इसके प्रभाव से आप अपने करियर में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकते हैं।


Ketu Kavach (केतु कवच) एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। यह कवच व्यक्ति के मन और आत्मा को शांति और संतुलन प्रदान करता है। केतु कवच व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है और उसे अपने कर्मों को सुधारने के लिए प्रेरित करता है। यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार की उलझन या नकारात्मकता महसूस करते हैं, तो केतु कवच आपके लिए सही दिशा की ओर मार्गदर्शन करता है। यह आपके जीवन में वास्तविक शांति और सफलता को लाने में मदद करता है।

इन दोनों कवचों का इस्तेमाल आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक शक्तिशाली और प्रभावी उपाय है।


निष्कर्ष:

राहु और केतु का जन्म एक कहानी है जो हमारे जीवन में काफी कुछ सिखाने वाली है। राहु को हम बुरी तक़दीर और उलझन का प्रतीक समझते हैं। जब भी हमारी जिंदगी में समस्याएँ, बुरी किस्मत या रुकावटें आती हैं, तो हम समझ सकते हैं कि यह राहु का प्रभाव हो सकता है। राहु हमेशा हमें हमारी पुरानी गलतियाँ या बुरे निर्णय याद दिलाता है, ताकि हम सुधार सकें।

दूसरी ओर, केतु को हम आध्यात्मिकता और कर्म का प्रतीक समझते हैं। केतु हमारे जीवन में तब आता है जब हम अपने कर्मों का ठीक से पालन करते हैं। यह हमें हमारे असली जीवन की ओर ले जाता है और हमारी आत्मा को सफलता और शांति का अनुभव कराता है।

राहु और केतु की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कभी-कभी हमारे निर्णय और कर्म हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं। ये दोनों ग्रह हमेशा हमारे साथ होते हैं, चाहे हम इन्हें समझें या न समझें। इनका असर हमारे कर्मों पर निर्भर करता है।


storty of rahu  and ketu
storty of rahu and ketu

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