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मृत संजीवनी स्तोत्र (Mritsanjeevani Stotra) का महत्व
Jan 18
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
मृतसञ्जीवनी स्तोत्र (अर्थ सहित)
Mritsanjeevani Stotra (मृत संजीवनी स्तोत्र) और शिव के आशीर्वाद के लिए Mrit Sanjeevani Kavach (मृत संजीवनी कवच ) से जीवन में शांति, शक्ति और समृद्धि प्राप्त करें। परिचय "मृतसञ्जीवनी स्तोत्र" को ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित माना जाता है। यह 30 श्लोकों का स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित है और उनके दिव्य स्वरूप को उजागर करता है। यह कहा जाता है कि जो भी इस स्तोत्र का नियमित और पूर्ण मनोयोग से पाठ करता है, वह जीवन की सभी समस्याओं और कष्टों से मुक्त हो जाता है।
श्लोक 1:
एवमाराध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयेश्वरम्।मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा।।
अर्थ:गौरी के स्वामी, मृत्युञ्जय भगवान शिव की सच्चे हृदय और भक्तिभाव से आराधना करने के बाद "मृतसञ्जीवनी कवच" का पाठ करना चाहिए। यह कवच जीवन के सभी संकटों को हरने वाला है। इसे पूरी श्रद्धा के साथ जपने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनुष्य जीवन के हर कष्ट से मुक्त हो जाता है।
Hindi Meaning:
Gauri ke pati aur Mrityunjayeshwar Bhagwan Shiv ki puja aur aradhana karne ke baad, bhakt ko sada Mritsanjivani naamak kavach ka paath karna chahiye.
श्लोक 2:
सारात्सारतरं पुण्यं गुह्यात्गुह्यतरं शुभम्।महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकम्।।
अर्थ:यह कवच भगवान शिव का गूढ़ और पवित्र रहस्य है। इसमें ऐसी दिव्यता है जो अन्य सभी पुण्य कार्यों से भी अधिक फलदायी है। इसे पढ़ने और सुनने से आत्मा शुद्ध होती है, मन को शांति मिलती है और यह अपने प्रभाव से सभी पापों को नष्ट कर देता है।
Hindi Meaning:
Mahadev ka Mritsanjivani naamak kavach param pavitra hai, jo sarva shreshth aur gupt gyaan ka bhi gyaan hai.
श्लोक 3:
समाहितमना भूत्वा शृणुश्व कवचं शुभम्।शृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा।।
अर्थ:अपने मन को शांत और एकाग्र करके इस दिव्य कवच का पाठ करो। यह न केवल कल्याणकारी है, बल्कि इसमें भगवान शिव की कृपा का विशेष रहस्य छिपा है। इसे सदैव आदर और श्रद्धा के साथ गुप्त रखना चाहिए, क्योंकि यह अमूल्य ज्ञान है।
Hindi Meaning:
Apne man ko ekagra karke iss kavach ko sunein. Yeh divya aur kalyaan kari kavach hai, jiska rahasya sada banaye rakhein.
श्लोक 4:
वराभयकरो यज्वा सर्वदेवनिषेवित:।मृत्युञ्जयो महादेव: प्राच्यां मां पातु सर्वदा।।
अर्थ:मृत्युञ्जय भगवान शिव, जो वरदान देने वाले हैं और सभी देवताओं द्वारा पूजित हैं, वह पूर्व दिशा में मेरी हर समय रक्षा करें। उनकी कृपा से व्यक्ति हर प्रकार की समस्याओं और भय से मुक्त रहता है।
Hindi Meaning:
Jo bhakt Yagna mein lagn rahte hain aur sabhi devata jinhe poojte hain, ve Mrityunjay Mahadev poorva disha mein sada meri raksha karein.
श्लोक 5:
दधान: शक्तिमभयां त्रिमुखं षड्भुज: प्रभु:।सदाशिवोऽग्निरूपी मामाग्नेय्यां पातु सर्वदा।।
अर्थ:भगवान सदाशिव, जो तीन मुखों और छह भुजाओं वाले हैं, वे आग्नेय दिशा में मेरी सदा रक्षा करें। उनकी शक्ति और कृपा मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त करती है और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
Hindi Meaning:
Teen mukh aur chhah bhuja wale Agnirupi Prabhu Sada Shiv aagneyya kone mein meri raksha karein.
श्लोक 6:
अष्टादशभुजोपेतो दण्डाभयकरो विभु:।यमरूपी महादेवो दक्षिणस्यां सदावतु।।
अर्थ:अठारह भुजाओं से युक्त और यमरूप महादेव, दक्षिण दिशा में मेरी सदा रक्षा करें। उनके प्रभाव से कोई भी अनिष्टकारी शक्ति मेरे पास नहीं आ सकती।
Hindi Meaning:
Aṭhārā bhujāon se yukt, haath mein dand aur abhay mudrā dharan karne wale, Yamarupī Mahadev, dakshin disha mein meri raksha karein.
श्लोक 7:
खड्गाभयकरो धीरो रक्षोगणनिषेवित:।रक्षोरूपी महेशो मां नैऋत्यां सर्वदावतु।।
अर्थ:महादेव, जो खड्ग (तलवार) और अभय मुद्रा धारण किए हुए हैं, और जो राक्षसों के समूह द्वारा पूजित हैं, वे नैऋत्य दिशा में मेरी सदा रक्षा करें। उनकी दिव्य उपस्थिति से सभी दुष्ट शक्तियां मेरे निकट नहीं आ सकतीं।
Hindi Meaning:
Haath mein khadga (talwar) aur abhay mudra dharan karne wale, dhairya se bhare, rakshorupi Maheshwar, nairytya disha mein meri raksha karein.
श्लोक 8:
पाशाभयभुज: सर्वरत्नाकरनिषेवित:।वरूणात्मा महादेव: पश्चिमे मां सदावतु।।
अर्थ:भगवान शिव, जो पाश और अभय मुद्रा धारण करते हैं और जिनकी सेवा रत्नों के स्वामी वरुण देवता भी करते हैं, वे पश्चिम दिशा में मेरी हर समय रक्षा करें। उनकी कृपा से सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
Hindi Meaning:
Pash aur abhay mudra dharan karne wale, jo sarvabharatiya ratanon se seva prapt karte hain, wo Varuna Dev ke roop mein meri pashchimi disha mein sada meri raksha karein.
श्लोक 9:
गदाभयकर: प्राणनायक: सर्वदागति:।वायव्यां वारुतात्मा मां शङ्कर: पातु सर्वदा।।
अर्थ:गदा और अभय मुद्रा धारण करने वाले, प्राणों के स्वामी और सदा गतिशील भगवान शिव, वायव्य दिशा में मेरी रक्षा करें। उनकी कृपा से जीव न में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहती है।
Hindi Meaning:
Gada aur abhay mudra dharan karne wale, pranon ke rakhwale, Vayu Dev ke roop mein, jo sabhi gatiyon ke swami hain, wo Vayavyan disha mein meri sada raksha karein.
श्लोक 10:
शङ्खाभयकरस्थो मां नायक: परमेश्वर:।सर्वात्मान्तरदिग्भागे पातु मां शङ्कर: प्रभु:।।
अर्थ:शंख और अभय मुद्रा धारण करने वाले परमेश्वर भगवान शंकर, जो सभी दिशाओं के नायक हैं, वे सभी दिशाओं के मध्य में मेरी रक्षा करें। उनकी सर्वव्यापकता मुझे हर परिस्थिति में सुरक्षित रखती है।
Hinglish:
Shankh aur abhay dharan karte hue, jo Parmeshwar hain, wo har disha mein meri raksha karein.
श्लोक 11:
शूलाभयकर: सर्वविद्यानामधिनायक:।ईशानात्मा तथैशान्यां पातु मां परमेश्वर:।।
अर्थ:शूल धारण करने वाले भगवान शिव, जो भय को हरने वाले और सभी विद्याओं के अधिपति हैं, वे ईशान कोण में मेरी रक्षा करें। ईशान स्वरूप शिव जीवन के हर पक्ष में मंगल और सुरक्षा प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से भक्त के मन में आत्मबल और शांति बनी रहती है।
Hindi Meaning:
Shool aur abhay mudra dharan karne wale, jo sabhi vidyaon ke swami hain, Ishwar ke roop mein, wo Eshaan disha mein meri raksha karein.
श्लोक 12:
ऊर्ध्वभागे ब्रह्मरूपी विश्वात्माऽध: सदावतु।शिरो मे शङ्कर: पातु ललाटं चन्द्रशेखर:।।
अर्थ:ऊर्ध्व दिशा में ब्रह्म स्वरूप और अधोदिशा में विश्वात्मा भगवान शिव मेरी सदा रक्षा करें। शंकर मेरे सिर की रक्षा करें, और चंद्रशेखर मेरे ललाट की रक्षा करें। शिव का ब्रह्म रूप सृष्टि के निर्माण और संरक्षण का प्रतीक है। उनकी उपासना करने से ज्ञान और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
Hindi Meaning:
Brahma ke roop mein, jo Vishweshwar hain, wo mere upar ke hisse ko aur Shiv, jo Chandrashekhar hain, mere shiro ko raksha karein.
श्लोक 13:
भूमध्यं सर्वलोकेशस्त्रिणेत्रो लोचनेऽवतु।भ्रूयुग्मं गिरिश: पातु कर्णौ पातु महेश्वर:।।
अर्थ:त्रिनेत्र भगवान शिव, जो संपूर्ण संसार के स्वामी हैं, मेरी आँखों की और भौंहों के मध्य की रक्षा करें। गिरिश मेरे कानों की रक्षा करें। भगवान शिव के त्रिनेत्र से प्रेरणा लेकर हम जीवन में विवेक और स्पष्ट दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं।
Hindi Meaning:
Mere bhounhon ke madhya mein sarvalokesh aur mere teen netron ki raksha karein, jo Girish hain, wo meri aankhon ki aur Maheshwar meri kaan ki raksha karein.
श्लोक 14:
नासिकां मे महादेव ओष्ठौ पातु वृषध्वज:।जिव्हां मे दक्षिणामूर्तिर्दन्तान्मे गिरिशोऽवतु।।
अर्थ:महादेव मेरी नासिका की, वृषध्वज मेरे होठों की, दक्षिणामूर्ति मेरी जीभ की और गिरिश मेरे दाँतों की रक्षा करें। भगवान शिव के वृषभ ध्वज का अर्थ है धर्म और सत्य का प्रतीक, जो हमें जीवन में नैतिकता और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
Hindi Meaning:
Mahadev meri naak aur Vṛṣadhwaja mere hothon ki raksha karein, Dakshinamurti meri jeebh ki aur Girish mere daanton ki raksha karein.
श्लोक 15:
मृत्युञ्जयो मुखं पातु कण्ठं मे नागभूषण:।पिनाकि मत्करौ पातु त्रिशूलि हृदयं मम।।
अर्थ:मृत्युञ्जय भगवान मेरे मुख की, नागों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले शिव मेरे कंठ की, पिनाकी मेरे हाथों की और त्रिशूलधारी मेरे हृदय की रक्षा करें। यह श्लोक भगवान शिव के संरक्षण और उनकी दिव्य शक्तियों का प्रतीक है।
Hindi Meaning:
Mritunjay mere mukh ki aur Nagbhushan mere kanth ki raksha karein, Pinaki mere dono hatho ki aur Trishuli meri hriday ki raksha karein.
श्लोक 16:
पञ्चवक्त्र: स्तनौ पातु उदरं जगदीश्वर:।नाभिं पातु विरूपाक्ष: पार्श्वो मे पार्वतिपति:।।
अर्थ:पंचवक्त्र (पाँच मुखों वाले) भगवान शिव मेरे स्तनों की रक्षा करें। जगदीश्वर मेरे उदर की, विरूपाक्ष मेरी नाभि की और पार्वतीपति मेरे पार्श्वभाग (पक्ष) की रक्षा करें। भगवान शिव के पाँच मुख पांच तत्वों—आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी—के प्रतीक हैं। वे सृष्टि के हर पहलू की रक्षा करने वाले हैं।
Hindi Meaning:
Panchavaktra meri chhati ki aur Jagadishwar mera pet rakhen, Virupaksha meri nabhi ki aur Parvatipati mere pasliyon ki raksha karein.
श्लोक 17:
कटद्वयं गिरिशौ मे पृष्ठं मे प्रमथाधिप:।गुह्यं महेश्वर: पातु ममोरु पातु भैरव:।।
अर्थ:गिरिश मेरे कटिभाग की, प्रमथाधिप मेरे पृष्ठभाग (पीठ) की, महेश्वर मेरे गुप्त अंगों की, और भैरव मेरे ऊरुओं की रक्षा करें। इस श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों को प्रार्थना के माध्यम से अपनी रक्षा के लिए आह्वान किया गया है।
Hindi Meaning:
Girish mere dono kati aur Pramathadhip meri pichwade ki raksha karein, Maheshwar mere guhyang ki aur Bhairav mere ooru ki raksha karein.
श्लोक 18:
जानुनी मे जगद्धर्ता जङ्घे मे जगदंबिका।पादौ मे सततं पातु लोकवन्द्य: सदाशिव:।।
अर्थ:जगद्धर्ता मेरे घुटनों की रक्षा करें। जगदंबिका मेरी जंघाओं की रक्षा करें। लोकवंदनीय सदाशिव मेरे पैरों की सतत रक्षा करें। इस श्लोक के माध्यम से, शिव और शक्ति की उपासना जीवन के हर हिस्से में सुरक्षा और आशीर्वाद के लिए की जाती है।
Hindi Meaning:
Jagdhatra mere ghutno ki, Jagadambika mere jhangho ki aur Lokavandya Sadashiva mere paadon ki sada raksha karein.
श्लोक 19:
गिरिश: पातु मे भार्या भव: पातु सुतान्मम।मृत्युञ्जयो ममायुष्यं चित्तं मे गणनायक:।।
अर्थ:गिरिश मेरी पत्नी की, भव मेरे पुत्रों की, मृत्युञ्जय मेरी आयु की, और गणनायक मेरे चित्त (मन) की रक्षा करें। यह श्लोक जीवन के विभिन्न संबंधों और मानसिक शांति के लिए भगवान शिव और गणेश के आशीर्वाद की प्रार्थना है।
Hindi Meaning:
Girish meri patni ki raksha karein aur Bhav meri santano ki raksha karein, Mritunjay mere jeevan ki aur Gananayak mere mann ki raksha karein.
श्लोक 20:
सर्वाङ्गं मे सदा पातु कालकाल: सदाशिव:।एतत्ते कवचं पुण्यं देवतानांच दुर्लभम्।।
अर्थ:कालों के काल, सदाशिव मेरे सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें। यह पुण्य कवच देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इस श्लोक में भगवान शिव की महिमा और उनकी सुरक्षा प्रदान करने वाली शक्ति का वर्णन किया गया है।
Hindi Meaning:
Kalakal Sadashiv mere sare sharir ki raksha karein. Yeh pavitra kavach, jo devataon ke liye bhi durlabh hai, maine tumhe bata diya hai.
श्लोक 21:
मृतसञ्जीवनं नाम्ना महादेवेन कीर्तितम्।सहस्त्रावर्तनं चास्य पुरश्चरणमीरितम्।।
अर्थ:महादेव ने स्वयं इस कवच को 'मृतसञ्जीवन' नाम दिया है। इसकी सहस्र बार आवृत्ति को पुरश्चरण (संपूर्ण विधि से पाठ) माना गया है।
Hindi Meaning:
Yeh Mritsanjivani kavach Mahadev ke dwara kaha gaya hai. Iska sahastravritan purashcharan ke roop mein jaana gaya hai.
श्लोक 22:
य: पठेच्छृणुयानित्यं श्रावयेत्सु समाहित:।सकालमृत्यु निर्जित्य सदायुष्यं समश्नुते।।
अर्थ:जो व्यक्ति इसे रोज़ पढ़ता है, सुनता है, या दूसरों को सुनाता है, वह अकाल मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है और दीर्घायु को प्राप्त करता है।
Hindi Meaning:
Jo vyakti apne man ko ekagrata se rakh kar, hamesha is kavach ka paath karta hai ya dusron ko sunata hai, vo samay se pehle maut ko harata hai aur sada jeevan ka anand leta hai.
श्लोक 23:
हस्तेन वा यदा स्पृष्ट्वा मृतं सञ्जीवयत्यसौ।आधयोव्याधयस्तस्य न भवन्ति कदाचन।।
अर्थ:यदि कोई व्यक्ति मरणासन्न व्यक्ति को स्पर्श करते हुए इस कवच का पाठ करता है, तो वह मृत प्राणी पुनः जीवित हो उठता है। पाठ करने वाले व्यक्ति को कोई शारीरिक या मानसिक कष्ट नहीं होता।
Hindi Meaning:
Jo vyakti apne haathon se kisi mrit vyakti ko sparsh karte hue is Mritsanjivani kavach ka paath karta hai, us vyakti ko kabhi bhi koi bhi rog ya dukh nahi hota.